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पॉलिटीशिया का ड्रैगन
वह झील जहां सपनों की छाया होती थी
Ebook series2 titles

Hindi Poetry and Fiction

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About this series

’पॉलिटीशिया का ड्रैगन’ एक क्रांतिकारी एवं प्रतीकात्मक हिंदी उपन्यास है जिसमें ’पॉलिटीशिया’ नामक एक काल्पनिक देश के माध्यम से उन सभी देशों की कहानी कही गई है जहां की राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्था सड़ चुकी है और एक भीषण परिवर्तन की जरूरत है। यह पूरी कहानी पॉलिटीशिया नामक काल्पनिक द्वीप पर घटित होती है जो एक समुद्र के पास स्थित एक बहुत ही छोटा और स्वतंत्र देश है और जिसकी दूसरी ओर डौंडाला नामक एक पर्वत है। इस द्वीप के अधिकांश लोग नैतिक अध:पतन के जीते-जागते प्रमाण हैं जिनका समय फालतू की गप्पबाजी, अपराध, पाखंड, अव्यवस्था और महिलाओं के प्रति लम्पटपना दर्शाने में ही बीतता है। एक समय था जब बड़ा भव्य था यह द्वीप, मगर वर्तमान परिदृश्य तो बिल्कुल विपरीत है। रोज के निकम्मेपन में डूबे, तम्बाकू, अफीम, ड्रग और नशे की दुनिया में निमग्न इन लोगों के लिए औरत सिर्फ सेक्स की वस्तु है। यहां की पुलिस, यहां के राजनेता, धर्मगुरु व अधिकारी लोग, और यहां तक कि स्वयं पर ’बुद्धिजीवी’ का ठप्पा लगाने वाले लोग भी अपने-अपने ’परिष्कृत’ तरीके से इसी नैतिक अवमूल्यन और सेक्स की अतृप्त भूख की गर्त में गिरे हुए हैं। फिर भी, तुर्रा यह कि अपने देश और इसकी तथाकथित ’अतीत-गरिमा’ पर बड़ा फख्र है उन्हें। ऐसे नैतिक पतन वाले देश में एक युवक रहता है—क्रूसेडो—जो बचपन में अनाथ हो गया था, जो इस छोट-से द्वीप की दुर्दशा से खिन्न है लेकिन जिसके पास इस कुव्यवस्था से लड़ने का कोई औजार नहीं है।
एक रात जब यह सारा द्वीप गहरी नींद में सो रहा था, किसी अज्ञात देश से एक विमान माउंट डौंडाला पर आकर उतरता है और क्रोध का देवता—रैडो—उस विमान में एक ड्रैगन को लेकर आता है और उसे अपना मिशन पूरा करने के लिए डौंडाला पर्वत पर छोड़कर वापस चला जाता है। कहानी के मुख्य पात्र क्रूसेडो और अदृश्य लोक से आए ड्रैगन के माध्यम से पॉलिटीशिया की किस्मत एकदिन बदलती है, लेकिन अनेक नाटकीय घटनाक्रमों के बाद...

Languageहिन्दी
Release dateAug 25, 2012
पॉलिटीशिया का ड्रैगन
वह झील जहां सपनों की छाया होती थी

Titles in the series (2)

  • वह झील जहां सपनों की छाया होती थी

    1

    वह झील जहां सपनों की छाया होती थी
    वह झील जहां सपनों की छाया होती थी

    “वह झील जहाँ सपनों की छाया होती थी” इस शीर्षक कविता सहित 49 भाव-प्रवण कविताओं का संकलन है जिसमें एक युवा कवि-मन की मिश्रित भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति हुई है। इस संकलन की प्राय: सभी कविताएं कवि ने 18-25 की आयु-अवधि के बीच लिखी थी। अत: उनमें बुद्धि और तर्क के निरर्थक प्रलाप की जगह भावुकता का सहज संप्रेषण और प्रवाह है। मूल स्वर रोमांटिक, प्रकृतिवादी और सौन्दर्यवादी है किन्तु उसमें मानवतावाद, युवा मन के विद्रोह, दिव्य चेतना के अनुभव और प्रेम की उदात्तता जैसे तत्वों की भी अनुभूति होती है। आधुनिक कविता के छंदहीन, अनुशासनहीन और विकृत मनोविकार से कहीं दूर ...... कविता के नैसर्गिक मधुर लोक में विचरण कराने वाला एक अत्यंत पठनीय काव्य-संकलन। READ IF YOU ARE TOO TIRED OF NOWADAYS एक कप टी / तुमने दी / हमने पी / ही ही ही poems.

  • पॉलिटीशिया का ड्रैगन

    2

    पॉलिटीशिया का ड्रैगन
    पॉलिटीशिया का ड्रैगन

    ’पॉलिटीशिया का ड्रैगन’ एक क्रांतिकारी एवं प्रतीकात्मक हिंदी उपन्यास है जिसमें ’पॉलिटीशिया’ नामक एक काल्पनिक देश के माध्यम से उन सभी देशों की कहानी कही गई है जहां की राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्था सड़ चुकी है और एक भीषण परिवर्तन की जरूरत है। यह पूरी कहानी पॉलिटीशिया नामक काल्पनिक द्वीप पर घटित होती है जो एक समुद्र के पास स्थित एक बहुत ही छोटा और स्वतंत्र देश है और जिसकी दूसरी ओर डौंडाला नामक एक पर्वत है। इस द्वीप के अधिकांश लोग नैतिक अध:पतन के जीते-जागते प्रमाण हैं जिनका समय फालतू की गप्पबाजी, अपराध, पाखंड, अव्यवस्था और महिलाओं के प्रति लम्पटपना दर्शाने में ही बीतता है। एक समय था जब बड़ा भव्य था यह द्वीप, मगर वर्तमान परिदृश्य तो बिल्कुल विपरीत है। रोज के निकम्मेपन में डूबे, तम्बाकू, अफीम, ड्रग और नशे की दुनिया में निमग्न इन लोगों के लिए औरत सिर्फ सेक्स की वस्तु है। यहां की पुलिस, यहां के राजनेता, धर्मगुरु व अधिकारी लोग, और यहां तक कि स्वयं पर ’बुद्धिजीवी’ का ठप्पा लगाने वाले लोग भी अपने-अपने ’परिष्कृत’ तरीके से इसी नैतिक अवमूल्यन और सेक्स की अतृप्त भूख की गर्त में गिरे हुए हैं। फिर भी, तुर्रा यह कि अपने देश और इसकी तथाकथित ’अतीत-गरिमा’ पर बड़ा फख्र है उन्हें। ऐसे नैतिक पतन वाले देश में एक युवक रहता है—क्रूसेडो—जो बचपन में अनाथ हो गया था, जो इस छोट-से द्वीप की दुर्दशा से खिन्न है लेकिन जिसके पास इस कुव्यवस्था से लड़ने का कोई औजार नहीं है। एक रात जब यह सारा द्वीप गहरी नींद में सो रहा था, किसी अज्ञात देश से एक विमान माउंट डौंडाला पर आकर उतरता है और क्रोध का देवता—रैडो—उस विमान में एक ड्रैगन को लेकर आता है और उसे अपना मिशन पूरा करने के लिए डौंडाला पर्वत पर छोड़कर वापस चला जाता है। कहानी के मुख्य पात्र क्रूसेडो और अदृश्य लोक से आए ड्रैगन के माध्यम से पॉलिटीशिया की किस्मत एकदिन बदलती है, लेकिन अनेक नाटकीय घटनाक्रमों के बाद...

Author

Suniti Chandra Mishra

I am involved in writing poems, novels, stories and other useful books since my early youth. After graduating from Mithila University (India), I adopted a career as a language teacher and served at several schools. I further served as Office Secretary of the Continental Board of Baha’i Counsellors in Asia (Gwalior office) where I was responsible for independently handling correspondence with Baha’i and non-Baha’i international institutions and developing study materials. I also served, during the same time, on the Translation & Review Committee of the National Spiritual Assembly of the Baha’is of India and translated a number of books including the Most Holy Book of the Baha’i Faith (by Baha’u’llah), Covenant (by Lowell Johnson), The Bab – The Herald of the Day of Days (H.M. Balyuji) among others.I am presently collaborating with a number of reputed translation agencies of India and abroad as a freelance writer and translator and have served in that capacity scores of international clients and companies of Australia, Canada, India, UK and USA. My books “Did I Exist Before ....?” published by Pustak Mahal (www.pustakmahal.com) and “A Writer’s Manual” published by V&S Publishers, New Delhi, are carving out a niche in the market. For link of my write-ups please follow: http://www.boloji.com/index.cfm?md=Content&sd=Writers&WriterID=1537

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