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जल ससाधन,
ं नदी िवकास और गगा
ं सरं ण िवभाग
MINISTRY OF JAL SHAKTI
DEPARTMENT OF WATER RESOURCES,
RIVER DEVELOPMENT & GANGA REJUVENATION
July
2019
Seventh Issue
Vol. 1. No. 7
जल चचा
जल शि मं ालय
जल ससाधन,
ं नदी िवकास और गगा
ं सरं ण िवभाग
MINISTRY OF JAL SHAKTI
DEPARTMENT OF WATER RESOURCES,
RIVER DEVELOPMENT & GANGA REJUVENATION
— सीचेवाल मॉडल 6
— जल श अ भयान 7
— मन क बात 8-9
( उप साद सह )
Krishna Basin
T he Krishna basin extends over an area of 2,59,439 sq.km. which is nearly 7.9% of the total geographical area of
the country.
Ÿ Krishna basin encompasses the states of Maharashtra (26.60%), Karnataka (43.80%), Telangana (19.80%) and
Andhra Pradesh (9.80%).
Ÿ e river Krishna is a perennial river and second largest eastward draining interstate river in Peninsular India. e
river rises from the Western Ghats near Jor village, north of Mahabaleshwar, in Satara district of Maharashtra at an
altitude of 1,337 m. e total length of the river from origin to its outfall into the Bay of Bengal is about 1400 km.
Ÿ e Krishna basin receives a major part of its rainfall during the South-West monsoon period. Around 70% of the
rainfall takes place during July to September.
Ÿ Its principal tributaries joining from the right are the Ghatprabha, the Malprabha, the Koyna, the Varna, the
Panchganga, the Dudhganga, and the Tungabhadra whereas the Bhima, the Khagna, the Musi and the Munneru are
principal tributaries joining the river from the le .
Ÿ e Ghataprabha rises in the Western Ghats at an altitude of 884 m and ows eastwards for a length of about 283 km.
Two of its tributaries, the Hiranyakeshi and the Markandeya, also rise in the Western Ghats and ow through
Maharashtra and Karnataka.
Ÿ e Malaprabha rises in the Western Ghats, at an altitude of about 793 m, about 16 km west of Jamboti in the
Belgaum district, Karnataka. e river ows rst in an easterly and then in a north-easterly direction and joins the
Krishna at an elevation of about 488 m, about 304 km from its source.
Ÿ e Tungabhadra, an important tributary of the Krishna, is formed by the union of the twin rivers Tunga and Bhadra,
which rise together in the Western Ghats at Gangamula hill in the Chikkamagaluru district of Karnataka, at an
elevation of about 1196 m. e united river Tungabhadra ows for about 531 km in a generally north-easterly
direction, through Karnataka and Andhra Pradesh and joins the Krishna beyond Kurnool district in Andhra Pradesh
at an elevation of about 264 m.
Ÿ e Bhima also rises in the Western Ghats at an altitude of about 945 m and ows south-eastwards through
Maharashtra and Karnataka. It has a total length of 861 km and falls into the Krishna river about 26 km north of
Raichur at an altitude of 343 m.
Ÿ e Musi rises at an altitude of about 661 m in the Medak district in Telangana. It ows through Hyderabad city and
runs mostly west to east until it is joined by the river Aleru. en it ows southwards and drops into the Krishna near
Wazirabad, at an elevation of about 61 m.
T he Indira Sagar dam is a 92 m high and 653 m long concrete gravity dam constructed on the Narmada river near
Punasa village, district Khandwa in Madhya Pradesh. e dam is a part of Indira Sagar Multipurpose project
planned for irrigation, hydro-power generation & ood control. e project provides irrigation in Culturable
Command Area of 1.23 lakh ha in the districts of Khandwa and Khargone. e powerhouse is located on the right bank
of the river with an installed capacity of 1000 MW (8 units of 125 MW each). e construction of the dam was
completed in 2005 and its operation and maintenance is carried out by the Narmada Hydroelectric Development
Corporation.
e over ow section of the Indira Sagar dam consists of 20 radial crest gates with designed spillway capacity of 83534
cumec. e Indira Sagar reservoir is one of the largest reservoir in India having a gross storage capacity of about 12.2
Billion Cubic Meter (BCM). e effective storage capacity of the reservoir is about 9.75 BCM.
जल यो ा – रामवीर तंवर
साथ िमलकर 'जल चौपाल' अिभयान ी तंवर ने कहा “ʼसे ी िवद पौड
ं ʼ की
शु िकया था। लेिकन जाग कता शु आत इस ल से की गई थी िक
फैलाना पया नही ं था, तो हमने जल युवाओं से जुड़ा जाए और उस खूबसूरत
िनकायो ं के पुनज वन का काय ारभ िवरासत के न होने के बारे म
िकया । नौकरी के साथ खेत और अपने जाग कता फैलाई जाए, जो अब डं िपंग
िनजी काय के िलए समय िनकालना िबन बन गए है या वहां बड़ी इमारत बन
अ ंत मु ल था। अतः इस काय के गई ह। अिभयान के तहत िवशेष
िलए अपनी नौकरी छोड़ने का िनणय को आस-पास के तालाबो ं के साथ एक
िलया जो िक अिधक संतुि दे ने वाला से ी लेकर तालाब की वतमान िथ
और मह पूण है ।” के अनुसार एक शीषक दे ना होता है ।”
लोगो ं को जल की िमत ियता करने आपने तालाबो ं के पुन ारो ं के िलए
के िलए समझाना आसान नही ं है , कब से काम करना शु िकया,
रा
मवीर तंवर, ेटर नोएडा
खासकर वहाँ जहाँ-जहाँ नल के आपके साथ िकतने लोग जुड़े और
(उ र दे श ) के डाधा गां व
मा म से आसानी से जल उपल अब िकतने े ो ं को आपने शािमल
के एक 26 वष य मैकेिनकल
हो। आपने लोगो ं को पानी की बबादी िकया है ?
इं जीिनयर, ने अपने े के मृत ाय जल
रोकने के िलए कैसे े रत िकया ?
“
िनकायो ं को पुनज िवत करने का बीड़ा “मने यह अिभयान वष 2014 म गौतम
उठाया। एक िकसान का बेटा होने के बु नगर से शु िकया था और कानपुर,
नाते उ ोन ं े अपने खेतो ं म िकसानो ं की इलाहाबाद, वाराणसी, इटावा जैसे कई
हाड़-तोड़ मेहनत को करीब से दे खा है । जस तरह से बूँद-बूँद से घड़ा िजलो ं के साथ-साथ मेरी टीम के संयु
यास से म दे श और महारा रा
खाली हो सकता है, उसी
िकसानो ं की सहायता करने और अपने
पूवजो ं की िवरासत को बचाए रखने की को शािमल िकया है । आज सीधे 250
लोग और सोशल मीिडया पेज ‘बूँद-बूँद
तरह से बूँद-बूँद से घड़ा भर
इ ाश के साथ उ ोन ं े जल संर ण
के िलए काय करना और लोगो ं को े रत
करना तब से शु िकया था जब वह 12
वी ं क ा म पढ़ रहे थे। हम इस युवा
भी सकता है
“ से पानीʼ के मा म से अ
एक लाख लोग जुड़े ह।”
अ म हमने उनसे जल संर ण संबंधी
प से
सीचेवाल मॉडल
भा
रत सरकार ने वष 2016 म “नमािम गंगे” काय म के चोबीसो ं घंटो ं के प र म ने इसे ३ साल से भी कम समय म इसे पूरा कर,
तहत, गंगा नदी के िकनारे थत गाँ वो ं को िवकिसत करने अपने आप म एक कीितमान थािपत िकया।
की प रयोजना बनाई, िजसे “गंगा ाम योजना” का नाम काली बेईं नदी म जल कु यो ं का एक िवशाल जाल सा फैला आ था,
िदया। इस योजना के तहत दे शभर के तकरीबन 1600 थानो ं को चुना िजस वजह से नदी के पानी का जमाव हो रखा था। सु ानपुर लोधी के
गया। इस योजना का मु उ े नालो ं की सफाई, सेवको ं ने जल कु यो ं एवं खरपतवार को एक
कचरा िन ारण, भूजल बंधन, बेहतर ता जुट होकर नदी से बाहर िनकाला और नदी का
यासो ं को बढ़ावा दे ना एवं गां वो को शत- ितशत बहाव िफर से सुचा प से चालू हो सका।
खुले म शौच मु बनाना है । नदी की सफाई के दौरान यं सेवको ं को
सरकार ने इसी योजना के तहत पंजाब ां त के जल-जीवो ं एवं साँ पो के खतरे का भी सामना
कपूरथला िजले के सीचेवाल गां व को आदश ाम के करना पड़ा। नदी की सफाई के दौरान िनकली
प म चुना, िजसे संत बलवीर िसंह के अथक हजारो ं टन अपिश एवं जल कु यो ं का
यासो ं ारा चम ा रक प से िवकिसत िकया िनपटान भी सफलता पूवक िकया गया।
गया है । संत बलवीर िसंह सीचेवाल के संघष और सफलता की िमसाल नदी की सफाई के बाद, नदी म जाने वाले गंद पानी को रोकने के िलए
‘सीचेवाल मॉडलʼ को आज िव भर म िकसी पहचान की आव कता सीवेज लाइन िबछाई। नदी के अशु पानी को एक तालाब म एक
नही ं है । ‘सीचेवाल मॉडलʼ के ज रए संत बलवीर िसंह ने पंजाब की काली करना शु िकया। तालाब म पानी के जाने से पूव इसे तीन ग ो ं से
बेईं नदी का प ही बदल िदया। िनकाला गया। इस मॉडल के ज रए साफ़ ए जल का खेती म उपयोग
पंजाब म दम तोड़ती 160 िकलोमीटर लंबी काली बेईं नदी को संत िकया जाने लगा।
बलवीर िसंह ने नया जीवन दे कर तकरीबन 93 गां वो ं के लोगो ं की उ ीद इसके बाद यहाँ घाटो ं का िनमाण िकया गया, िजसके रख-रखाब की
को मरने से बचाया। संत बलवीर के इस अथक यास के िलए भारत िज ेदारी थानीय लोगो ं एवं पयटको ं ारा िनभायी जाती है । कम लागत
सरकार ने उ पदम ी से स ािनत िकया। म सीचवाल मॉडल के तहत तैयार ए मलजल शोधन संयं पूणतः सफल
काली बेईं नदी का कायाक रहा है । संत बलवीर िसंह के िव ास एवं थानीय लोगो ं के कड़े प र म ने
इस नामुमिकन काय को भी मुमिकन सािबत कर िदया। िजसे िव भर म
काली बेई नदी, पंजाब की दो बड़ी निदयो;ं ास और सतलुज के संगम म
सराहा गया और आज दे श-िवदे श के कई जगहो ं पर पानी के शोधन के
िमलने वाली एक छोटी नदी है । इस नदी के तट पर थत कपूरथला िजले
िलए सीचेवाल मॉडल का उपयोग िकया जा रहा है । कम लागत म दे सी
के एक क े सु ानपुर लोधी म िसखो ं के पहले गु नानक दे व जी ने 14
तरीके से बना यह सीवेज ां ट पूरी तरह कारगर है ।
साल िबताए थे, जहाँ वह अपने भ ो ं के साथ ान िकया करते थे। लोगो ं
का मानना है की इस नदी म गु नानक दे व ने ान के िलए डु बकी आपको जानकर है रत होगी िक पंजाब के एक ब त बड़े इलाके म ज़मीनी
लगायी, वह तीन िदनो ं तक बाहर नही ं आए। इस दौरान उ आ ान जल र को सुधारने और पुन थापना म काली बैन नदी की सबसे बड़ी
की ा ई और अवत रत होने के बाद “एक ओक ं ार” का उपदे श भूिमका है । इस प रयोजना का काफी सकारा क भाव दे खने को
िदया। इसिलए इस नदी का एक िवशेष मह है , िमला, अकेले कपूरथला िज़ले म ही लगभग
इस आ ा क एवं धािमक मह ने ही इसके 1,35,000 हे े यर ज़मीन को िगरते भूजल र
जीण ार के िलए संत बलवीर िसंह को े रत से बचा िलया गया। रा के होिशयारपुर िज़ले
िकया। 160 िकलोमीटर लंबी काली बेईं नदी के म, लगभग 6000 एकड़ के े को जल जमाव
िकनारो ं पर 93 गाँ वो ं की 50 हजार एकड़ से की सम ा से िनवारण िमला। एक अनुमान के
अिधक जमीन पर खेती होती थी। लेिकन कई अनुसार, सीचेवाल मॉडल के काया यन के
शहरो ं एवं गाँ वो ं का कूड़ा इसी नदी म आता था। बाद भूजल र म लगभग 1.5 मीटर की बढ़त
िजसकी वजह से इस नदी का पानी िवषैला एवं को दज िकया गया, यही नही ं जल ोतो ं के बी.
ब त बदबूदार था, िजससे आस-पास के े म बीमा रयो ं का कोप बढ़ ओ. डी. और सी. ओ. डी. र म भी भारी िगरावट दज की गयी। थानीय
रहा था। िजसके बाद काली बेईं नदी की सफाई एवं उसके सौ य करण िनवािसयो ं के सा ा ार से पता चलता है की इस े की आबादी को,
के िलए संत बलवीर िसंह ने इसका बीड़ा उठाया। संत बलवीर िसंह ने इस खासकर ब ो ं को कई बीमा रयो ं से भी छु टकारा िमला, िजससे वह एक
काय के िलए थानीय लोगो ं एवं यंसेवको ं की एक सभा बुलाई, िजसम ल े समय से परे शान थे।
उ ोने नदी के कायाक के िलए लोगो ं को जाग क िकया एवं उनका स वतः अगर इस मॉडल का उपयोग दे श के बाकी िज़ले और गाँ व कर,
नेतृ िकया और इसे जन आ ोलन म तबदील कर िदया। काली बेईं नदी तो बेहद कम समय म हम जल की सम ाओं से िनजात पा सकते ह।
की सफाई का काय नामुमिकन था, संत बलवीर िसंह के मागदशन म इतना ही नही,ं इस मॉडल की मदद से भूजल र म भी वृ की जा
3000 से अिधक यंसेवको ं की एकजुटता एवं िव ास और उनके सकती है - जो िक इस व की सबसे बड़ी ज रत ह।
क ीय जल श मं ी, ी गजे सह शेखावत
ने कया जल श अ भयान का आगाज
क जल संकट से
ू रे चरण का आगाज 1 अ ू बर 2019 से कया जाएगा जो 30 नवंबर 2019 तक चलेगा। अ भयान का
2019 शु हो गया है और दस
जल और ॉक पर होगा।
अ भयान क शु आत करते ए, ी शेखावत ने कहा क इस अ भयान का मु उ े देश म जल संर ण के वषय म लोग को जाग क करना,
जल संसाधन को बढ़ावा देना एवं हर घर पीने का पानी उपल कराना है । जल संर ण के लए लोग म सकारा क बदलाव लाना आव क है ।
हाल ही म धानमं ी नर मोदी ारा 2.3 लाख से अ धक सरपंच को लखे ए प के भाव का उ ेख करते ए कहा क यह वषा जल संचयन,
तालाब और गाँव क टं कय के रखरखाव और पानी के संर ण के लए काम करने म मदद करेगा।
जल श अ भयान के तहत क सरकार के अ धका रय क टीम, 256 जल के 1592 जल-तनाव ॉक म जला शासन के साथ मलकर
काम करगी। इन अ धका रय को जल श मं ालय ारा नधा रत पांच जल संर ण बदु सु न त करने का काम स पा जाएगा। इनम जल
संर ण, वषा जल संचयन, पारं प रक और अ जल नकाय /टक का नवीनीकरण, जल का पुन: उपयोग, बोरवेल रचाज संरचनाएं, वाटरशेड
वकास और गहन वनीकरण शा मल ह गे।
जल श अ भयान के तहत 256 जल म 3.5 लाख से अ धक जल संर ण के उपाय कए गए ह। लगभग 1.54 लाख जल संर ण और वषा जल
संचयन, 20,000 पारं प रक जल नकाय के कायाक , 65000 से अ धक पुन: उपयोग और पुनभरण संरचनाएं और 1.23 लाख वाटरशेड
वकास प रयोजनाएँ शा मल ह। अनुमा नत 2.64 करोड़ लोग पहले ही इस अ भयान म भाग ले चुके ह और इसे जन आंदोलन बना रहे ह। इस
अ भयान के तहत लगभग 4.25 करोड़ पौधे लगाए गए ह।
इस अ भयान म जल श मं ालय, जल संर ण, नदी वकास और गंगा संर ण वभाग के 447 तकनीक अ धकारी, जला जल संर ण
योजनाओं को वक सत करने के उ े से स य प म हर ॉक र तक कायरत ह। एवं पांच चय नत जल संर ण े म हर संभव तकनीक
सहायता दान कर रहे ह।
आपक कलम से
Ÿ जल श मं ालय, जल संसाधन, नदी वकास और गंगा संर ण वभाग ारा हर माह का शत होने वाली 'जल चचा' प का म छपने
वाले लेख काफ ानवधक है । प का म का शत होने वाले लेख ने हम दै नक जीवन म जल संर ण और जल का सदप ु योग करने के
ू सी रज जल सदप
लए े रत कया है । प का म का शत होने वाली काटन ु योग एवं जल संर ण के वषय को उजागर करने का काफ
दलच तरीका है । साथ ही ब को जाग क करने के लए सहायक है । म आप से आशा करता ँ क आप आने वाले माह क प का म तुषार मुटरेजा
(लखनऊ)
जल स त कुछ अ एवं मह पूण त को भी साझा कर। यह हमारे सामा ान को बढ़ावा देने म सहायक होगा। - तुषार मुटरेजा
Ÿ जल चचा का जून अंक पढ़ा। शवगंगा के बारे म जानकारी रोचक लगी। आशा है इस तरह के यास को साझा करते रहगे। - शा लनी झा
शा लनी झा
(गु ाम)
प ी डॉ अिनल जोशी ने 'Ecology Inclusive और ई र म कोई अंतर नही ं है, लेिकन हमारा ि कोण कृित
Economy' के िवषय पर िवचार साझा िकए के ित ब त िभ रहा है और हमारे इस वहार के कारण ही
कृित और इसके संसाधनो ं को भारी नुकसान प ं चा है ।“ डॉ
न
व िनिमत जल श मं ालय के अधीन कायरत
जोशी ने सभा म मौजूद तमाम लोगो ं से आ ह िकया की वे पानी
रा ीय जल िमशन ने गत 21 जून 2019 को चौथी
की चुरता के अथक दु पयोग की अपनी धारणा को बदल
वॉटर टॉक काय म का आयोजन डॉ अ ेडकर
और कृित िव ान को समझने की कोिशश कर। अपने
अंतररा ीय क , नई िद ी म िकया था। िजसम मु व ा
स ोधन के अंत म उ ोन ं े भारत म पयावरण के सम ा
के प म प ी डॉ. अिनल जोशी, िहमालयन पयावरण
को इं िगत करने के िलए सकल पयावरण उ ाद (GEP) की
अ यन और संर ण संगठन (HESCO) के सं थापक, और
अवधारणा को शु करने की जोरदार वकालत की तथा
मु अितिथ के तौर पर ी यू. पी. िसंह, सिचव, जल संसाधन,
मं ालय से अनुरोध िकया िक वे अ े सं थानो ं के साथ
नदी िवकास और गंगा संर ण िवभाग, जल श मं ालय ने
िमलकर रा ापी जल जन क की थापना कर, जो थानीय
संबोधन िकया, इसके अलावा ी राजीव रं जन िम ा,
गां वो ं से जुड़े हो,ं जहाँ िव ान को आधार बनाकर ावहा रक
महािनदे शक, रा ीय गंगा िमशन, क ीय जल आयोग,
समाधानो ं को लागू िकया जाए। जल जन क का मु उ े
क ीय भूजल बोड, रा ीय गंगा िमशन, के ीय मृदा
पानी के िवषय पर िश ा दान करना और अनेक मु ो ं /
और साम ी अनुसंधान के , रा ीय जल िवकास अिधकरण
चुनौितयो ं / समाधानो ं
और जल संसाधन, नदी िवकास और गंगा संर ण िवभाग के
और सव म थाओं के
कई अिधका रयो ं ने िशरकत की।
िविभ पहलुओं के
काय म की शु आत रा ीय जल िमशन के िनदशक ी जी. जानकारी का सार
असोक कुमार ने अितिथयो ं एवं सभा म उप थत यो ं के करना होना चािहए।
ागत एवं आभार करते ए िकया। डॉ. अिनल जोशी ने
ी यू. पी. िसंह ने अपने
स ोधन की शु आत
डॉ. अिनल जोशी का
आभार करते ए
ी यू.पी. िसंह की तथा जल संर ण
और बंधन म सभी
िहतधारको ं की छोटी-बड़ी पहल और भागीदारी के मह पर
काश डाला। उ ोन ं े कहा िक ेक सरकारी सं थान, ग़ैर-
सरकारी सं थान, जल उपयोगकता संघो ं (WUA) आिद की
अपनी ताकत और कमजो रयाँ ह, तथा हम जल े म उ
चुनौितयो ं का समाधान खोजने के िलए एक-दू सरे के साथ
सहयोग करना चािहए। ी यू. पी. िसंह ने कहा िक पानी की
उपल ता की सम ा की तुलना म जल बंधन एक बड़ा मु ा
है और लोगो ं को जल संर ण एवं बंधन के िलए जाग क
करना आव क ह। अपने स ोधन को आगे बढ़ाते ए
डॉ. अिनल जोशी उ ोन ं े बताया की फटॉप रे न वाटर हाव ं ग जैसे यासो ं के
'Ecology Inclusive Economy' के िवषय पर अपने िवचार मा म से पानी का बंधन कर सकते ह, खेतो ं म तालाब बना
साझा िकए। उ ोन ं े इस िवषय म काश डालते ए कहा सकते ह और छोटे जल िनकायो ं का कायाक कर हम एक
“दु िनया ने भले ही िव ान म उ ित की हो, पर कृित िव ान बेहतर कल का िनमाण कर सकते है ।
को समझने के मामले म हम अभी भी ब त पीछे ह। कृित
CLEANATHON
ज
लश मं ालय, जल संसाधन, नदी
िवकास और गंगा संर ण िवभाग ारा
21 जून 2019 को अंतरा ीय योग
िदवस का आयोजन िकया गया। दे शभर के 60 से
अिधक थानो ं पर लगभग 7000 िवभागीय
अिधका रयो ं ने अंतरा ीय योग िदवस का काय म
मनाया। म श भवन, नई िद ी म क ीय जल
श मं ी, माननीय ी गज िसंह शेखावत, जल
संसाधन, नदी िवकास और गंगा संर ण िवभाग,
सिचव, ी यू. पी. िसंह एवं सभी व र अिधका रयो ं
के साथ 200 से अिधक िवभागीय कमचा रयो ं ने
अंतरा ीय योग िदवस के काय म म भाग िलया।
6
B L A “ D
7 8
K D W R
NAMAMI GANGE
NMCG celebrates World Environment Day
enthusiastic student winners of the rst ever National A Workshop on “Geospatial Technology: An Aid to
Ganga Quiz 'Ganga Quest'. e exemplary work of Ganga Rejuvenation” was organized by Geodetic and
Ganga Praharis during Kumbh Mela was also Research Branch of Survey of India which was held at
recognized during the event. Union Minister for Jal Dehradun and a ended by all reputed organizations in
Shakti, Shri Gajendra Singh Shekhawat said that on this eld. e workshop helped stakeholders come
World Environment Day all of us have to contribute for abreast with the current technology trend and
the Ganga Cleanliness. We have the culture of endeavoured to bring together decision makers,
conservation of nature as we have always considered technocrats, implementing agencies and NMCG for
them a part of divine, we have to preserve what we an engaging discussion. Namami Gange accords high
believe is divine. He suggested a comprehensive priority for research and evidence based decision
conservation method which includes our rituals of making and has a special place for the use of new
preserving environment and planting more trees technology. It is with this ideology that the Survey of
coupled with new methods of sustainable India and NMCG are collaborating for the generation
development. Other dignitaries present in the event of high resolution Digital Elevation Model (DEM)
include Shri U.P. Singh, Secretary, Ministry of Jal and GIS ready database for a 10 km wide corridor
Shakti, Do WR, RD & GR, Dr. Jasper Wick, Deputy along the banks of the Ganga from Rishikesh to
Gangasagar.
NEWS IN BRIEF
के
ीय जल श मं ी, ी गजे िसंह शेखावत ने 13 जून 2019 को ऋिषकेश और ह र ार म चल रही नमािम गंगे
प रयोजनाओं की समी ा की। ी गजे िसंह शेखावत ने सराय सीवेज टीटमट ां ट (एसटीपी) और िनमाणाधीन
जगजीतपुर एसटीपी के काय की गित का जायजा िलया। इस वष के अंत तक जगजीतपुर एसटीपी के पूरा होने की
उ ीद है । ी शेखावत ने परमाथ िनकेतन, ऋिषकेश म एक सभा को भी संबोिधत िकया। उ ोन
ं े सभा से हर कार से जल संर ण
करने का आ ह िकया और गंगा कायाक एवं संर ण के मह पर भी बल िदया। साथ ही सभी से जल संचय के आं दोलन म शािमल
होने और इसे एक मुख जन आं दोलन म बदलने की अपील की।
DO YOU KNOW?
Ÿ The average annual
precipitation is 4000
BCM in India.
Ÿ The average annual water
resources are 1869 BCM
available as a runoff.
Ÿ The estimated annual
utilizable surface water is
690 BCM.
Ÿ The total utilizable annual
groundwater resources
are 447 BCM.
Ÿ The total annual utilizable
water is 1137 BCM.
Ÿ The per capita water
availability (2011) is 1545
m³/year.
NEWS IN BRIEF
Shri U.P. Singh, Secretary, Do WR, RD & GR, a ended a A project visit to North Koel project was conducted by
meeting in Guwahati for the allocation of power to Central Water Commission (CWC) from 18th to 21st
Assam from NHPC's lower subansari Hydro-Electric June 2019 in Jharkhand.
Plant. Secretary, Ministry of Power and officials from
Niti Ayog also a ended the meeting.
NEWS IN BRIEF
Central Soil and Material Research CSMRS team visited Sone Dam STG A team of CSMRS visited
(CSMR S) team v isited “Isarda Link Canal Project, Bihar to carry out Kholongchhu Hydroelectric Project,
Drinking Water Supply Project”, near Soil investigations along the proposed Bhutan and conducted eld
Isarda village in Sawai Madhopur canal alignment and Foundation investigations for the above project.
district, Rajasthan from 19th June investigations for cross drainage
2019 to 24th June 2019 for works.
conducting in-situ shear tests on seven
concrete blocks at le bank dam axis in
an open trench.
Command Area Development Wing (DoWR, RD & technologies), and the non-structural intervention
GR) Ministry of Jal Shakti with active participation (sustaining PIM initiative). Outcomes of the day long
from Sardar Sarovar Narmada Nigam Ltd. (SSNNL) re ections were nally translated into 14 key
organized the second CADWM Conference at recommendations during the concluding session.
Ahmedabad on 28th May 2019. e Conference was
a ended by approx 150 delegates (including over 80
delegates coming from other States) representing the
Central and State implementing agencies, domain
experts, NGOs, technology providers, contractors, and
other key stakeholders of the conference.
e introduction was made by Dr. B.R.K. Pillai,
Commissioner (CADWM), Ministry of Jal Shakti,
DoWR, RD & GR. e conference deliberations
spread over three technical sessions included 14 expert
presentations. e deliberations were focused on
generating constructive discussion on CADWM
program (success, failure & strategic corrections), its
str uctural inter vent ion (adaptat ion of new
नी
र एक गैर सरकारी, गैर लाभकारी, समाज सेवी संगठन
है जो जल संर ण, जल बंधन और ता के े म
कायरत है । यह संगठन मूल प से वषा जल संचयन
और भूजल पुनभरण करने के े म कायरत है ।
ं ट फुट प ित: समय-समय पर िव ालयो,ं कॉलेजो,ं पंचायतो ं और वाड म जल संर ण जाग कता काय म और सेिमनारो ं का
आयोजन िकया जाता है ।
जल संर ण के बारे म नारे लेखन की एक ितयोिगता का आयोजन िकया गया, िजसम कु े से लगभग 1,08,000 छा , करनाल से
18,282 छा , यमुनानगर के 28,421 छा और कैथल से 58,615 छा ो ं ने िह ा िलया।
वष 2014 म ह रयाणा िसंचाई अनुसंधान और बंधन सं थान (HIRMI) म एक वृ ारोपण काय म शु िकया गया था, िजसके
मा म से पूरे ह रयाणा म लगभग एक लाख पौधे लगाए गए।
तालाब म फैलने वाले थैितक शैवाल (Algae) को साफ करने के िलए ा सरोवर पर सफाई अिभयान भी चलाया गया।
िकसानो ं को जल बचाने की नई तकनीको ं से अवगत कराने के िलए रा र पर जल संर ण संगो ी आयोिजत की गयी ।
पानी की कमी और बचत के तरीको ं के बारे म जानकारी दे ने के िलए सरपंचो ं और िजला प रषद के सद ो ं के िलए संगो ी आयोिजत
की गयी। िजससे की वे अपने े म जल संर ण के िलए लोगो को जाग क कर सके एवं जल वंधन कर े को जल सम ा से
िनजात िदला सके ।
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अथात:रहीम कहते ह क पानी के बना सब सूना है। पानी के बना मोती (संप ), मनु और धरती सब
मू हीन ह।
अथात: क चड़ म पाया जाने वाला थोडा सा पानी ही ध है क उस पानी से कतने छोट-ेछोटे जीव क
ास बुझती है। सागर का जल वशाल मा ा म होते ए भी थ होता है क उस जल से कसी क
ास नह बुझती।