Documenti di Didattica
Documenti di Professioni
Documenti di Cultura
Amrita Pritam Ki Kavitayen PDF
Amrita Pritam Ki Kavitayen PDF
कुछ क वताएं
एक घटना
तेर याद
बहत
ु दन बीते
जलावतन ह
ु
जीतीं ह या मर गयीं-
कुछ पता नहं
तीन बार उठ कर
मने सांकल टटोली
अंधेरे को जैसे एक गभ' पीड़ा थी
वह कभी कुछ कहता
और कभी चुप होता
?य+ अपनी आवाज को दांत+ म दबाता
फर जीती जागती एक चीज
और जीती जागती आवाज
“म काले कोस+ से आयी हंू
ूहAरय+ क
आंख से इस बदन को चुराती
धीमे से आती
पता है मुझे क तेरा दल आबाद है
पर कहं वीरान सूनी कोई जगह मेरे िलये?”
“सूनापन तो बहत
ु है ,
पर तूं जलावतन है , कोई जगह नहं,
म ठCक कहती हंू कोई जगह नहं तेरे िलये,
यह मेरे मःतक,
मेरे आका का हDम
ु है !”
***********
एक मुलाकात
है रान थी….
पर उसका चमMकार ले िलया
पता था क इस ूकार क
घटना
कभी सदय+ म होती है …..
मेरे शहर क
हर गली संकर
मेरे शहर क
हर छत नीची
मेरे शहर क
हर दवार चुगली
और नीची छत+
और संकर गिलय+
के शहर म बस सकते थे….
म अकेला कनारा
कनारे को िगरा दया
और जब दन ढलने को था
समुJि का तूफान
समुJि को लौटा दया….
*************
याद
और अंधेरे क
सीढयां उतर गया….
आसमान क
भव+ पर
जाने Dय+ पसीना आ गया
िसतार+ के बटन खोल कर
उसने चांद का कुता' उतार दया….
वष' कोयले क
तरह
बखरे हए
ु
कुछ बुझ गये, कुछ बुझने से रह गये
वS का हाथ जब समेटने लगा
पोर+ पर छाले पड़ गये….
ू गयी
तेरे इँक के हाथ से छट
ू गयी
और NजJदगी क
हNJडया टट
इितहास का मेहमान
मेरे चौके से भूखा उठ गया….
***********
हादसा
बरस+ क
आर हं स रह थी
घटनाओं के दांत नुक
ले थे
ू गया
अकःमात एक पाया टट
आसमान क
चौक
पर से
शीशे का सूरज फसल गया
*************
आMमिमलन
शहर
*************
वाAरस शाह नूं
ु
गलेय+ टHटे ु
गीत फर, ऽखल+ टHट तंद,
ु
ऽंझण+ टNHटयां सहे िलयां, चरखरे घूकर बंद
वाAरस शाह से
और इँक क
कताब का
पंजाब क
एक बेट रोई थी
पंजाब क
हालत दे खो
चौपाल लाश+ से अटा पड़ा ह,
इस जरखेज धरती से
ू गया
हर गले से गीत टट
ू गया
हर चरखे का धागा छट
सहे िलयां एक दसरे
ू ू गयीं
से छट
चरख+ क
महफल
वरान हो गयी
और रांझे के सब भाई
और ूीत क
शहजादयां
आज सब कैद+* बन गये
*************
पहचान
***********
वह चांद से VठC हई
ु एक रात थी
जब तार+ के मःतक म आग सरकती
तो उJह छाती से दध
ू दे ती
वह तार+ को बदन से झटक दे ती